तु किसी रेल सी ग़ुज़रती है,मैं किसी पुल सा थर थराता हूँ
एक जंगल है तेरी आंखों में,जहाँ मैं राह भूल जाता हूँ।
तू रत्ती भर न सुनती है,मैं तेरा नाम बुद-बुदाता हूँ ।
मैं पानी के बुलबुले जैसा,तेरी याद में फूट जाता हूँ
वृंदावन के फूलों जैसा,खिलती रहो तुम हमेशा
सपनों के कैनवास पर,भरती रहो रंग हमेशा
कामयबी की हर सीढ़ी बीछी हो तुम्हारे आगे
इरादों से जि़न्दगी नई-नई बुनती रहो तुम हमेशा
तुम्हरी किसी कोशिश में कभी भी न कमियॉ रहे,
इल्तेज़ा है,हमेशा तुम्हारे जीवन मे खुशियॉ रहे।
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एक जंगल है तेरी आंखों में,जहाँ मैं राह भूल जाता हूँ।
तू रत्ती भर न सुनती है,मैं तेरा नाम बुद-बुदाता हूँ ।
मैं पानी के बुलबुले जैसा,तेरी याद में फूट जाता हूँ
वृंदावन के फूलों जैसा,खिलती रहो तुम हमेशा
सपनों के कैनवास पर,भरती रहो रंग हमेशा
कामयबी की हर सीढ़ी बीछी हो तुम्हारे आगे
इरादों से जि़न्दगी नई-नई बुनती रहो तुम हमेशा
तुम्हरी किसी कोशिश में कभी भी न कमियॉ रहे,
इल्तेज़ा है,हमेशा तुम्हारे जीवन मे खुशियॉ रहे।
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